PK Mahanandia & Charlotte von Schedvin Love Story In Hindi
PK Mahanandia & Charlotte Love Story
महानंदिया का जन्म 1949 में अंगुल जिले के अठमालिक उप-मंडल के कंधापाड़ा गाँव में एक ओडिया-भाषी बुनकर परिवार में हुआ था। परिवार की हालत बहुत ही ख़राब थी। पर वे बचपन से ही कला में बहुत ही रूचि रखते थे और कला में आगे बढ़ने के लिए वो विश्व-भारती में शामिल हो गए। शामिल होने के बावजूद ही उनके पास ट्यूशन के पैसे नहीं थे इस लिए उनको वापस अपने घर लौटना पढ़ा। उसके बाद वो कला का अध्ययन करने के लिए गवर्नमेंट कॉलेज ऑफ़ आर्ट एंड क्राफ्ट्स, खल्लिकोट में शामिल हुए। 1971 में ललित कला का अध्ययन करने के लिए उन्होंने दिल्ली के कॉलेज ऑफ आर्ट में दाखिला लिया।
डॉ। प्रद्युम्न कुमार महानंदिया की कहानी आज भी एक मिशाल है
फाइन आर्ट कॉलेज में पढ़ते हुए पिके ने उन्होंने इंदिरा गांधी का चित्र बनाया अब उनको कीर्ति मिलने लगी। इसके बाद उनको अधिकारियों की अनुमति मिल गई और उन्होंने कनॉट प्लेस में पवित्र फव्वारे के नीचे बैठकर चित्र बनाना शुरू कर दिया। एक दिन राजकुमारी चार्लोट भारत की यात्रा पर थी और राजकुमारी चार्लोट की तसवीर बना ने का मौका मिला और तब चार्लोट महज 19 साल की थी और और राजकुमारी को भी इस अद्भुत चित्रांकन के काम से प्यार हो गया। दोनों ने अपना प्यार जाहिर किया और उनकी शादी हो गई।
शादी के बाद चार्लोट ने पीके को अपने साथ स्वीडन चलने को कहा पर पीके ने उस बात से इंकार कर लिया और कहा की वो खुद स्वीडन आएंगे उनको देखने के लिए। अब राजकुमारी चार्लोट स्वीडन रवाना हुई और पीके यहाँ भारत में ही रह गए। दोनों पत्र द्वारा एक दूसरे से बात करते। वक्त बीता और चार्लोट ने पीके को हवाई जहाज का टिकट भेजने को कहा पर पीके अभी भी चार्लोट को मना कर रहे थे।
पीके महानंदिया और राजकुमारी चार्लोट कहानी क्यों सबसे अलग है ?
बस यही से सुरु होती है इनकी ये कहानी जो इस प्रेम कहानी को बाकी सारी कहानीसे अलग करती है पीके चार्लोट द्वारा भेजी टिकट से स्वीडन जा सकते थे पर उन्होंने उसके बदले अपने प्रेम को मिलने के लिए खुद ही जाना तय किया और बचत करने लगे। समय बीता पर पीके अभी भी बचत नहीं कर पाए थे। पीके ने एक साइकिल खरीदी और उसके माध्यम से ही स्वीडन जाना तय किया ये बात सचमे ही अगर कोई बोले तो कोई भी यकीं नहीं करेगा पर पीके चार्लोट को मिलने के लिए एक पुरानी साइकिल खरीदी और स्वीडन के लिए रवाना हुए।
राजकुमारी चार्लोट और पीके आज कहा है ?
आज पीके और चार्लोट स्वीडन में रहते है और दोनों के दो बच्चे है जिनका नाम सिद्धार्थ और एमेलिए है दोनों बेहद ही खुश है 1975 की यह कहानी आज भी सच्चे प्यार की ऐसी मिशाल है जिसने सारे ही पूर्वाग्रह को नज़र अंदाज करके अपने प्यार को चुना।
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